Sunday, December 10, 2017

जादुई यथार्थवादी अति लघु कथा




जादुई यथार्थवादी अति लघु कथा - एक
'आपसे मिलकर खुशी हुई' -- उसने कहा | और वह सच कह रहा था !!
#जादू_जंगल


जादुई यथार्थवादी अति लघु कथा -- दो
वे पति-पत्नी थे। जीवन भर वे एक-दूसरे से प्यार करते रहे ।
#जादू_जंगल


जादुई यथार्थवादी अति लघु कथा -- तीन
मौक़ा मिलने पर भी उसने बेवफ़ाई नहीं की I एकनिष्ठ प्यार करता रहा ।
#जादू_जंगल



जादुई यथार्थवादी अति लघु कथा -- चार
उस स्त्री की सुन्दरता को उसने प्रशंसा और प्यार से देखा, उसे भोगने का ख़याल तक दिल में लाये बिना ।
#जादू_जंगल


जादुई यथार्थवादी अति लघु कथा -- पाँच
एक देश के एक शहर के एक मोहल्ले में एक प्रबुद्ध नागरिक रहता था I वह हमेशा स्त्री-पुरुष के बीच बराबरी की बातें करता था। और वह दिल से इसमें यकीन करता था और वाक़ई ऐसा चाहता था ।
#जादू_जंगल



जादुई यथार्थवादी अति लघु कथा -- छः
एक दिन उसे पुराने दोस्तों की याद आयी I
एक दिन पार्क में खेलते बच्चों को देखते रहना उसे अच्छा लगा ।
एक दिन उसे पत्नी से गपशप करने को दिल चाहा ।
एक दिन उसे बुराइयां बुरी लगीं।
एक दिन उसने कहा,"बस, बहुत हुआ !"
#जादू_जंगल


जादुई यथार्थवादी अति लघु कथा -- सात
एक कवि-लेखक था, शायद हिन्दी का ही था I उसकी रचनाओं के कुछ पाठक और प्रशंसक भी थे I उसने न कभी किसी प्रकाशक की लल्लो-चप्पो की, न ही किसी आलोचक को पटाया I उसने कभी पुरस्कार-सम्मान की भी कामना नहीं की। दिल्ली में रहकर भी न कभी साहित्य अकादमी गया, न ज्ञानपीठ, न ही दरियागंज या IIC या IHC.
#जादू_जंगल



जादुई यथार्थवादी अति लघु कथा -- आठ
एक दिन एक ताकतवर आदमी से एक आम आदमी टकराया I उसने उससे कुछ औपचारिक बातें कीं I फिर दोनों अपनी राह चले गए I उस रात ताकतवर आदमी को दिल का दौरा पड़ा और वह मर गया I वजह चाहे जो भी हो लेकिन दिन में जब आम आदमी उससे बातें कर रहा था तो आँखों में आँखें डालकर बातें कर रहा था और उसके कंधे झुके हुए नहीं थे ।
#जादू_जंगल



जादुई यथार्थवादी अति लघु कथा -- नौ
एक लोकतंत्र था जहां कोई आतंक नहीं था, पैसे का या लाठी-गोली का I वहाँ ईमानदारी से चुनाव होता था, ईमानदारी से बहुमत की सरकार बनाती थी, और पूरी सरकार ईमानदारी से जनता की सेवा करती थी ।
#जादू_जंगल




जादुई यथार्थवादी अति लघु कथा -- दस
एक प्रोफ़ेसर मिले, विश्वख्यात मार्क्सवादी दार्शनिक I और वह जो बातें कर रहे थे, वे मेरी समझ में आ रही थीं ।
#जादू_जंगल




जादुई यथार्थवादी अति लघु कथा -- ग्यारह
दो भक्त रास्ते से जा रहे थे I एक अक़ल से काम लेने की बात कर रहा था और दूसरा अमन-चैन की ।
#जादू_जंगल



जादुई यथार्थवादी अति लघु कथा -- बारह
एक बार ऐसा हुआ कि भद्र नेकदिल नागरिकों के आग्रहों, मोमबत्ती जुलूसों, कविता-पाठों, ज्ञापनों, प्रतिवेदनों, याचिकाओं और तरह-तरह के प्रतीकात्मक विरोधों से फासिस्टों के दिल बदल गए I वे शांतिप्रिय, लोकतांत्रिक और सेकुलर हो गए ।
#जादू_जंगल



जादुई यथार्थवादी अति लघु कथा -- तेरह
एक दिन सुबह एक प्रख्यात प्रगतिशील साहित्यकार जब सोकर उठा तो बेडरूम की दीवारों पर टंगे तमाम प्रशस्ति-पत्रों पर नज़र तक नहीं डाली I शेल्फ़ में सजी अपनी किताबों को भी नहीं देखा I न तो उसने अपने गुट के किसी लेखक-आलोचक को फोन मिलाया, न अकादमी अध्यक्ष को, न किसी प्रकाशक को I न उसने कोई खिन्नता प्रकट की, न असंतोष और न ही मूड बिगाड़ने के लिए पत्नी को या बच्चों को डांटा I चाय उसने बालकनी में पी, पत्नी-बच्चों के साथ और अखबार पढ़ते हुए यह फैसला लिया कि कल वह एक माह से हड़ताल कर रहे छंटनीशुदा मज़दूरों के साथ एकजुटता का इज़हार करने जायेगा I पत्नी से उसने रात भर आने वाली उसकी खांसी के बारे में चिंता प्रकट की, फिर कहा,"चलो, आज घर की सफ़ाई करते हैं और कुछ स्पेशल पकाते हैं।"
#जादू_जंगल




जादुई यथार्थवादी अति लघु कथा -- चौदह
एक दिन ऐसा हुआ कि फिर समाजवाद आ गया I तब मार्क्सवादी बुद्धिजीवियों-प्रोफेसरों-पत्रकारों आदि की एक विशाल सभा हुई I सभा में यह विचार हुआ कि अतीत में समाजवाद की पराजय और पूँजीवादी पुनर्स्थापना में चूंकि मानसिक श्रम और शारीरिक श्रम के बीच अन्तर्वैयक्तिक अन्तर से पैदा होने वाले बुर्जुआ अधिकारों की बहुत अहम भूमिका रही थी, अतः सभी बुद्धिजीवी अब कारखाना-मज़दूरों के बराबर ही पगार लेंगे और साथ ही अध्ययन-अध्यापन से समय निकालकर कुछ शारीरिक श्रम के काम भी करेंगे Iइस आशय का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ और सभी ने इसे दिल से स्वीकार किया ।
#जादू_जंगल



जादुई यथार्थवादी अति लघु कथा -- पन्द्रह
एक दिन राजधानी की सभी नारीवादी स्त्रियाँ एक विशाल सभागार में एकत्र हुईं I सभा में सर्वसम्मति से तय हुआ कि चूँकि मज़दूर स्त्रियों को ज्यादा विविध और बर्बर रूपों में पुरुष उत्पीडन का सामना करना पड़ता है और चूँकि उनका आर्थिक शोषण भी बहुत अधिक होता है, और चूँकि उनकी संख्या पढी-लिखी मध्यवर्गीय स्त्रियों से कई-कई गुनी अधिक है, इसलिए नारीवादी आन्दोलन में मज़दूर स्त्रियों की मांगों को प्राथमिकता दी जायेगी और सभी संगठनों में उन्हें शामिल करने के साथ ही महत्वपूर्ण पद भी दिए जायेंगे I सभा में काम वाली बाई और अन्य कामगारिनों के साथ एकदम बराबरी, बहनापा और न्याय का व्यवहार करने जैसे कई अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए I गगनभेदी करतल-ध्वनि के साथ सभा समाप्त हुई ।
#जादू_जंगल




जादुई यथार्थवादी अति लघु कथा -- सोलह
एक दिन भारत के एक मार्क्सवादी धुरंधर विद्वान ने बिना किसी हिचक या लाज-शर्म के अपने मौलिक विचारों को अपनी मातृभाषा में लिखा और फिर कई सभाओं में उस विषय पर मातृभाषा में ही बोले I एक दिन और ऐसा हुआ कि अंग्रेज़ी नहीं जानने-समझने वाले बहुत सारे लोग बहुत सारे अंग्रेज़ीदां लोगों के बीच न तो कुंठित हुए, न ही शर्मिन्दा ।
#जादू_जंगल



... और अब इस कड़ी की आख़िरी क़िस्त
जादुई यथार्थवादी अति लघु कथा -- सत्रह
एक दिन कविता कृष्णपल्लवी ने सभी फैसले सोच-समझ कर लिए I
एक दिन उसे अपने किसी फ़ैसले के लिए पछताना नहीं पड़ा I
एक दिन उसने कोई भूल-ग़लती नहीं की ।
एक दिन उसे उसके दुश्मनों ने बख्श दिया और शुभचिंतकों ने भी ।
#जादू_जंगल

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